**प्रिये! आज फिर सुनो ध्यान दे**
तुमसे लगी लगन में गूँजे, मेरी तो दुनिया सारी।
प्रिये! आज फिर सुनो ध्यान दे, बंशी की वो धुन प्यारी।।1।।
हृदय-पटल पर छाप तुम्हारी,
उमड़े नेह भरे बादल।
किस भाषा में व्यक्त हो सके,
प्रिये! तुम्हारी प्रीति अचल?
छलना बिधि की करे आरती, दे आशीष हमें भारी।
प्रिये! आज फिर सुनो ध्यान दे, बंशी की वो धुन प्यारी।।2।।
रीत जगत की कहे आज फिर,
"मुझमें कुछ बदलाव करो।
हृदय करे मंजूर जिन्हें,
उन बातों का बर्ताव भरो।"
खुश हो जाओ क्योंकि आ रही खबर हमारी मतवारी ।
प्रिये!आज फिर सुनो ध्यान दे, बंशी की वो धुन प्यारी ।।3।।
आकुलता में भरा समर्पण,
हृदय आज अभिमान करे।
मंजूरी मेरी मुस्काये,
हृदय तुम्हारा ध्यान करे।
एक टेक वरदान बन गयी, मिलीं मुझे खुशियाँ सारी।
प्रिये! आज फिर सुनो ध्यान दे, बंशी की वो धुन प्यारी ।।4।।
'सत्यवीर' हठ बने कसौटी,
शुभ प्रयत्न इतिहास बने।
तब संसार समर्थन भी दे,
फल रचता अनुप्रास घने।
उधर प्रेम के तीर चल रहे, इधर छँटे बदली कारी।
प्रिये!आज फिर सुनो ध्यान दे, बंशी की वो धुन प्यारी।।5।।
अशोक सिंह "सत्यवीर "
(गीत संग्रह - "लो! आखिर आया मधुमास")